✍️ रौशन बघेल
कबीरधाम। जिला में इन दिनों पान मसाला गुटखा, तंबाकू, गुड़ाखू वह रिफाइंड सरसों तेल व अन्य खाद्य सामानों में भी कालाबाजारी शुरू कोरोनावायरस की तीसरी लहर को देखते हुए मार्केटो में सामान जाम करना स्टार्ट कर दिए हैं, जिससे मुनाफाखोरो को इजाफा हो गया है, जो सामान पहले कम दरों में मिलता था वह सामानों का रेट आसमान छू रहा है, गांव देहातों में भी दुकानदार महंगा रेटों में बेच रहे है जो कि अभी तक कोरोना की तीसरी लहर में लॉकडाउन नहीं हुई है।तो या असर है लॉकडाउन अगर लग जाता है तो उस सामान को और दुगने रेट पर खरीदना ना पड़ जाए जिससे शासन प्रशासन बेखबर है बढ़ते रेटों पर लगाम एवं रोक लगाया जाए नहीं तो मार्केट में कालाबाजारी स्टॉक जाम कर लोग कमाने के चक्कर में लगे रहते हैं। और गरीब आदमी खाद्य सामान खरीदने पर मजबूर हो जाता है पिछले लॉकडाउन में भी बहुत कालाबाजारी हुआ जिसमें किसी के द्वारा रोक नहीं लगाया गया लेकिन बढ़ती महंगाई को देखकर लोगों को डर और भय बन गया है। कोरोना के तीसरे लहर की आहट मिलते ही शहर में एक बार फिर से मुनाफाखोर सक्रिय हो गए हैं, रिफाइंड सरसों तेल खाद्य सामग्रियों के साथ ही साथ गुड़ाखू गुटखा सिगरेट की कीमतों में अचानक बढ़ोतरी होने लगी है, इसे लेकर लोग बहुत चिंतित है। आप सब को ज्ञात होगा की कोरोना की दूसरी लहर के दौरान शहर में मुनाफाखोरी की बाढ़ सी आ गई थी,खासकर सिगरेट गुटका और गुड़ाखू की कीमतों में जबरदस्त उछाल देखने को मिला वहीं खाद्य,तेलों की कीमतों में भी काफी बढ़ोतरी देखने को मिली। अब करोना कि तीसरे लहर से पहले ही जहां खाद्य तेलों की कीमतों में भी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।
400 रुपये से अधिक दाम पर बेच रहे एक पैकेट गुड़ाखु।
वर्तमान में एक पैकट गुडाखू थोक में १५० ग्राम वाला 420 रुपए में मिल रहा है फुटकर की बात करे तो पहले 30 रुपए में मिलता था व अब 40 रुपए में मिल रहा है और 15 रुपये वाला 20 रुपए में मिल रहा है एक पैकेट ६० ग्राम वाला पहले 255 रुपए थोक में मिलता था वही आज 370 रुपए में मिल रहा है। इससे भी अधिक दाम पर बिक रहा है, दुकानदारो रुपये का इजाफा कर रहे है।इसके साथ खाद्य तेल का भाव अचानक बड़ा दिया है जिसके कारण आम लोगो को महंगाई की मार झेलनी पड़ रही है। विगत वर्ष लाकडाउन के दौरान इन सामानों के विक्रय और उपयोग दोनों पर रोक लगा दी गई थी, जिसके बाद एक गुटखा का पाउच दस रुपये तक में बिक रहा था। वैसा ही मामला अभी देखने को मिल रहा है, वहीं गुडाखू का एक डिब्बा जो सामान्य दिनों में से दस–पंद्रह रुपये में बिका करता था वह अभी 20–25 रुपये तक में बिकने लगा है। ऐसे में दुकानदार जमकर मुनाफा जमकर मुनाफा कमा रहे हैं। इधर के दुकानदारों को पूछने पर बताते है कि सामान हम लोगों को उपर से ही ज्यादा रेट में मिला है जिस कारण से हम ज्यादा रेट बेचने पर मजबूर है।
लाकडाउन की संभावना को देखते हुए अभी से प्रारभ हो गई कालाबजारी का खेल।
कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए इस बार भी दुकानदार इसी मुनाफाखारी में लगे हुए हैं। और आगे की संभावना को देखते हुए अभी से दाम बढ़ा कालाबाजारी शुरू कर दिए हैं। लाकडाउन की संभावना को देखते हुए शुरू हुई कालाबाजारी पर प्रशासन इन दुकानदारों पर कार्रवाई कर रोक लगाएं। ताकि सामान सही रेट पर मिल सके। विगत लाकडाउन के अनुभवों को देखते हुए प्रशासन पूर्व से ही इन दुकानदारों पर लगाम लगाएं ताकि कालाबाजारी न हो और आम लोगों को परेशानी का सामना न करना पड़े।
कालाबाजारी रोकने प्रशासन ने नहीं उठाया कोई कदम…
कालाबाजारी रोकने शासन-प्रशासन के द्वारा अब तक किसी भी प्रकार का कोई कदम नही उठाया जा रहा है। अगर अधिकारी बड़े दुकान और गोदाम में छापामारी करे तो सब स्पष्ट हो जाएगा। लेकिन प्रशासन का हाथ इन बड़े रसूखदार दुकानदारों तक नही पहुच सकते केवल छोटे व्यपारियो के दुकानों में पहुँचकर चलानी कार्यवाही कर खानापूर्ति की जाती हैं। आज लोग गुटखा, गुड़ाखू के आदि हो गए है। इसीलिए व्यापारी खुलेआम गुटखा,गुड़ाखू के नाम पर लूट मचा रखे है। जिसके चलते लोगों द्वारा लगातार किराना दुकानों में जाकर गुटखा, गुड़ाखू का मांग किया जाता है। जिसके कारण किराना व्यापारियों के द्वारा गुड़ाखू पहले 10 रुपए में बिकता था व आज उसकी कीमत 20 रुपए मे धडल्ले से बेचा जा रहा हैं। तथा तेल की बात करें सरसों और रिफाइंड तेल में तो सरसों तेल पहले ₹120 लीटर मिलता था तो वहीं आज ₹180 रु लीटर हो गया है। और रिफाइंड तेल ₹90–100 रु लीटर मिलता था तो वही आज ₹160 रु लीटर हो गया है। जिससे आमजनो को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि हमारे पास ऊपर से ही महंगा रेट आ रहें है इसलिए हमको महंगा रेट बेचना पढ़ रहा हैं।