कबीरधाम! दर्जनों विभाग पर सरपट दौड़ रही बिना टैक्सी परमिट की गाड़ियां अधिकारी कर्मचारी घरेलू कार्यों में कर रहे उपयोग


कबीरधाम
!जिले के अधिकारीगण ही परिवहन के नियमों को मखौल उड़ा रहे हैं। जिला मुख्यालय पर सरकारी कार्यालय में अधिकारियों की खिदमत में लगे हुए अधिकतर वाहन नियमों के विरुद्ध बिना टैक्सी परमिट के लगे हुए हैं। इससे यातायात के नियमों का उल्लंघन तो हो ही रहा है, साथ ही परिवहन विभाग को राजस्व की हानि भी हो रही है।

ऐसे सरकारी विभाग, जिनके पास खुद के वाहन नहीं है, ऐसे विभागों में अधिकारियों की सुविधा के लिए सरकारी खर्चे पर किराए के चार पहिया वाहन लगाए जाते हैं। परिवहन विभाग के नियमों के क्रम में सरकारी विभागों में किराए पर उन्हीं वाहनों को रखा जाता है, जिनका परिवहन विभाग से टैक्सी परमिट स्वीकृत हो। यह नियम केवल कागजों तक ही सीमित रह गए हैं। इसका मुख्य कारण है कि  आला अधिकारी ही लग्जरी गाड़ियों में घूमने के चक्कर में नियमों को अनदेखा कर रहे हैं। जिला मुख्यालय पर स्थित ऐसे दर्जनों विभाग हैं, जिनके अधिकारी बिना टैक्सी परमिट की गाड़ियों में घूम रहे हैं।

यहां यह सवाल खड़ा होता है कि जब सरकारी अधिकारी ही सरकार को राजस्व की क्षति पहुंचाने का काम करेंगे और नियमों का उल्लंघन करेंगे, तो फिर आम जनता से क्या उम्मीद की जा सकती है। कुछ अधिकारी भी ऐसे होंगे, शायद उन्हें इस बात की जानकारी न हो कि जिस वाहन में वह शान से घूम रहे हैं, वह वाहन नियमों के विपरीत है, लेकिन अधिकारियों को इस ओर गंभीरता दिखानी होगी।      

कारनामे उजागर होना का भी होता है डर

नियमों को दरकिनार करते हुए बिना टैक्सी परमिट के वाहनों को किराए पर रखने के पीछे कई कारण होते है। कई अधिकारी व विभागों के लिपिक अपने खुद के व रिश्तेदारों के वाहनों को विभाग में किराए पर लगाए हुए हैं। इससे अधिकारियों द्वारा किए जाने वाले कारनामे भी छिपे रहते हैं। बाहरी व्यक्ति के आने से कारनामे उजागर होने का डर बना रहता है। यही कारण है कि खुद को सुरक्षित रखने के लिए नियमों को ताक पर रख दिया जाता है।      

लग्जरी वाहनों में घूमने का है मोह      

कई अधिकारियों को तो केवल लग्जरी वाहनों में घूमने का मोह है। कुछ विभागों के अधिकारी ऐसे भी है, जिनके पास विभाग के सरकारी वाहन है, लेकिन उन वाहनों का उपयोग नहीं किया जाता है। बिना ऐसी वाली साधारण गाड़ी में घूमना वह अपनी शान के खिलाफ समझते हैं। इसका उदाहरण जिला के दर्जनों विभाग है, जहां विभाग की सरकारी गाड़ी रखी-रखी कंडम हो रही है और विभाग के अधिकारी किराए की लग्जरी गाड़ी रखे हुए हैं।      

सरकारी वाहन का हो रहा घरेलू उपयोग

जिले में कई अधिकारी सरकारी वाहनों का धड़ल्ले से घरेलू उपयोग कर रहे हैं. यहां तक कि गाड़ी में भरे जाने वाला तेल सरकारी राशि से खरीद होती है. लेकिन उसका उपयोग अधिकारी अपने घरेलू काम के लिए कर रहे हैं. कई अधिकारी अपने निजी काम पर वाहनों को अपने पास रखते हैं. घरेलू काम से रायपुर जाना हो या परिवार के साथ घूमने भी सरकारी वाहन का ही उपयोग होता है. चालकों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि रविवार को भी वाहन मुख्यालय से अपने घर सैकड़ों किलोमीटर दूर ले जाया जाता है. घर का हर काम सरकारी वाहन से होता है


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