श्रमिक कल्याण संघ ने सरदार वल्लभ भाई पटेल की पूजा कर 1 मई अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक,मजदूर दिवस मनाया


अलग-अलग देशों में मई दिवस या मजदूर दिवस को लेकर अलग-अलग मूल कहानियां हैं। भारत में,पहला मजदूर दिवस समारोह 1 मई, 1923 को चेन्नई में हुआ था। इसकी शुरुआत सबसे पहले 'हिन्दुस्तान की लेबर ने की थी। इस दिन पहली बार लाल झंडे का इस्तेमाल किया गया था जो मजदूर दिवस का प्रतीक है। यह दिन भारत के कार्यबल के सम्मान को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है।

मई दिवस को भारत में 'अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस' या 'कामगार दिवस' के रूप में भी जाना जाता है।

शासन से उम्मीद व प्रदेश के मुखिया भूपेश सरकार से हम मजदूर को जैसे किसानों को भूमिहीन  किसान योजना से सम्मान दे रहे हैं वैसे ही प्रदेश के सहकारी कारखाना के श्रमिको को दिवाली में या 1 मई को साल में प्रोत्साहन राशि के रूप में एक महीना का वेतन देना चाहिए जिससे मजदूर श्रमिकों का सम्मान मिले और वेतन में बढ़ोतरी करें ताकि महंगाई की मार को झेल सके,बढ़िया जीवन यापन हो सके।

छत्तीसगढ़ में मजदूर दिवस अब बोरे बासी खाकर मनाया जाएगा-भूपेश

माननीय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी का आभार जो बोरे बासी खाने को अपील कर श्रमिक को सम्मान दे रहे हैं और बोरे बासी आहार को छत्तीसगढ़िया गौरव से जोड़ा जा रहा है, मुख्यमंत्री जी ने कहा गर्मी के दिनों में बोरे बासी शरीर को ठंडा रखता है पाचन शक्ति बढ़ाता है त्वचा की कोमलता और वजन संतुलित करने में भी यह रामबाण है बोरे बासी में सारे पोषक तत्व मौजूद होते हैं


1 मई अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस मानने के लिए यूनियन के (अध्यक्ष) रमाशंकर विश्वकर्मा (उपाध्यक्ष)अशोक बंजारे (सचिव) अजय बंजारे (सह सचिव) मेलन दास मानिकपुरी (कोषाध्यक्ष) सत्यप्रकाश मानिकपुरी (सदस्य) अश्वनी साहू,बिसेन साहू,संतराम वर्मा,अजीत साहू,गोकुल धुर्वे,महादेव,धर्मेंद्र,गोपाल, किसन,संतोष,मनीष,आरिफ खान,जुनैद खान व अन्य भाई उपस्थित रहे !


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