कबीरधाम ! जिले के पुलिस विभाग के द्वारा यातायात नियमों के लिए तरह तरह का पहल किया जाता है जैसे वाहन पर दो व्यक्ति से ज्यादा बैठकर वाहन न चलाने , बीना सीट बेल्ट बांधे वाहन न चलाने, बीना लाइसेंस के वाहन न चलाने, शराब पीकर वाहन न चलाने के साथ साथ परिजनों को नबालिकों को पुलिस के द्वारा वाहन न देने की सलाह भी अक्सर देते देखे ही होंगे ।अब चौंकाने वाली बात यह है कि एक तरफ पुलिस विभाग के अधिकारी रैली निकालकर लोगों को यातायात नियमों के प्रति जागरूक कर रहते है । वहीं दूसरी ओर देखा जा सकता है कि पुलिस विभाग में दर्जनों गाड़ीयां नियम विरूद्ध बीना किराया परमिट से चलाया जा रहा है । नियमानुसार इन वाहनों को परिवहन विभाग से टैक्सी परमिट लेकर त्रैमासिक कर का भुगतान करना होता है लेकिन अधिकतर वाहनों के मालिकों ने विभाग से परिमट नहीं लिया है और अवैधानिक रूप से वाहनों का संचालन कर रहे हैं। इससे विभाग को लाखों रूपये के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है। बताया जाता है कि टैक्सी पास हेतु लोगों को वाहन की कीमत से करीब आठ से नौ फीसद टैक्स जमा करना होता है। वहीं रजिस्ट्रेशन व फिटनेस की राशि भी अलग से अदा करनी पड़ती है।
निजी वाहनों का टैक्स कम लगता है और लाइफ टाइम तक का झंझट नहीं रहता है। ऐसे में में वाहन संचालक जानबूझकर टैक्सी परमिट लेने से कतराते हैं। पुलिस विभाग में गाड़ी संलग्न होने से जांच आदि की प्रक्रिया से भी नहीं गुजरना पड़ता है फिर भी पुलिस विभाग के द्वारा ऐसे वाहन अपने विभाग में चलाना एक सोचनीय विषय है ।
आम जनता से तो पुलिस यातायात नियमों का पालन करने और करवाने पर जोर देती है पर उनके खुद के विभाग के राजपत्रित अधिकारी खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
क्या यातयात नियमों का पालन करना आम आदमी की जिम्मेदारी है। विभाग में ऐसे वाहनों को चलवाने वाले विभाग के अधिकारियों पर नियम लागू नहीं होता क्या? यदि होता हो तो देखते हैं की संबंधित जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी इनके खिलाफ क्या कार्यवाही करते हैं?