कबीरधाम! जिले के वन विकास निगम पंडरिया परिक्षेत्र के जमुनपानी अंतर्गत आने वाली अनुमानित कक्ष क्रमांक 1428 के घनें जंगलों को इन दिनों राजस्थान और गुजरात की भेंड़ बकरिया व ऊंट नष्ट कर रहे हैं |वन विकास के संबंधित अधिकारियों कर्मचारियों द्वारा इसे रोकने का कोई पहल नहीं किया जा रहा है | एक तरह से विभाग अनजान बने हुए है और पिछले एक सप्ताह से पहाड़ी के उपर जंगलो मे राजस्थानी अपने भेंड़ बकरियों के साथ डेरा डाले हुए है ।
हजारों की संख्या में भेंड़ बकरी और ऊंट जंगल में चरते देखे जा सकते है जो कि तेजी से घने जंगल को ये चट कर रहे है, अवैध चराई के कारण जंगल के वन्यप्राणी जंगल छोड़कर अन्यत्र भटकने को मजबूर हो रहे है, जबकि शासन द्वारा इन जंगलो मे अन्य प्रांतो की भेड़ बकरी व ऊंटो के आने जाने व उसकी चराई के लिए पूरी तरह से प्रतिबंधित है | बावजूद इसके लगातार राजस्थान और गुजरात के भेड़ बकरियां और ऊंट बेधड़क जंगल के कीमती जड़ी बूटी व नर्सरी, कीमती वनों को चट करते जा रहे हैं | बताया जाता है ये बकरियां जिस जंगल से गुजरती है | वह जंगल क्षेत्र को नष्ट करते जाती है और इसके मलमूत्र से काफी नुकसान होने की जानकारी ग्रामीणों द्वारा दी जाती है । इसकी जानकारी ग्रामीणों द्वारा दी गई है और ग्रामीणों ने बताया जामुनपानी के जंगलों में अलग -अलग झुण्ड में ये लोग डेरा डाले हुए है और हजारो की संख्या में भेड़ बकरियां व ऊंट जंगल में चरते दिखाई दे रहे हैं, लेकिन इसे रोकने विभाग द्वारा कोई खास पहल करते नहीं दिखाई दे रहा है । ग्रामीणों ने जमुनपानी के जंगल क्षेत्र में राजस्थान और गुजरात के भेड़ बकरियां और ऊंट की चराई की तस्वीर भी लगातार सोशल मिडिया में पोस्ट कर रहे है ।
ग्रामीण सूत्रों का कहना डिप्टी रेंजर क्षेत्र भ्रमण के दौरान गुजराती ऊंट भेड़ वालों के जमाए हुए डेरे से चाय पीकर चले जाते हैं
ग्रामीणों का कहना है कि जब डिप्टी रेंजर गणेश चंद्रवंशी अपने कर्मचारियों के साथ भ्रमण के दौरान जंगल आते है तो कार्यवाही करने के बजाए मेल मिलाप कर उनके जमाए डेरे में बैठे चाय पीकर वापस चले जाते हैं वही ग्रामीणों का आरोप है कि जब ग्रामीण गुजराती भेंड़ वालो को जंगलों से जानें को कहते हैं तो भेंड़ वाले उनसे लड़ाई झगडे करने के लिए उतावले हो जाते हैं ।बहरहाल जो भी हो ये हजारों भेंड बकरिया और ऊंट हरे भरे जंगलो को उजाने में लगा हुआ है|