कबीरधाम ! छत्तीसगढ़ का खजुराहो भोरमदेव जो स्थापित है कबीरपंथी के नाम से प्रसिद्ध जिला कबीरधाम में जो विश्व में अपनी ऐतिहासिक धरोहर के नाम से मशहूर है जहां सन 1995 में अविभाजित मध्यप्रदेश में तेरस मेला को भोरमदेव महोत्सव का स्वरूप दिया गया। 1998 में कबीरधाम जिला गठित होने के बाद 1999 में भोरमदेव महोत्सव का पांचवा lआयोजन हुआ। छत्तीसगढ़ नया राज्य गठित होने के बाद 2001 में भोरमदेव महोत्सव का सातवां आयोजन हुआ तब से अब तक कोरोना काल के वह बुरे दिनों को छोड़ यह महोत्सव का आयोजन होता आ रहा है ।
प्रतिवर्ष भांति इस वर्ष भी प्रशासन के द्वारा दो दिवसीय महोत्सव का अयोजन किया गया है । पुरे देश में आचार संहिता लागू होने के कारण अचानक 05 अप्रैल को यह निर्णय लिया गया कि भोरमदेव महोत्सव का आयोजन दो दिवसीय 6 अप्रैल व 7 अप्रैल को होगा । अचानक इस फैसले से जिले में निवासरत आवाम में तो नाराजगी देखी ही जा रही है तो वही इसका सीधा असर मेले में दूकान लगा कर जीवन यापन करने वाले व्यापारियों में भी पड़ा है ।दुकानदारों का कहना है कि उन्हे मेले के आयोजन का ख़बर अचानक मिला जिससे वह पूरी तरह से तैयारी नहीं कर पाए जैसे तैसे तैयारी कर भी लिए तो मेले का माहौल पुरा ठंडा होने के कारण बिर्की उम्मीद से भी कम हुई वहीं व्यापारियों का यहां तक कहना है कि जिस वाहन से वो बिक्री के लिए समान ढो कर लाए हैं स्थिति इतनी गंभीर है की शायद उसका किराया भी अदा न कर सके इस बार इन्हें घाटा उठाना पड़ सकता है ।प्रशासन को आयोजित महोत्सव का सूचना पहले से ही देनी चाहिए थी ताकि मेले में भीड़ लगी रहती लोगो का आवाजाही लगा रहता तो नुकसान नहीं उठाना पड़ता मेले की सूचना जिलेवासियों को भी अचानक ही मिला जिससे उनका भी आना संभव नहीं हो रहा है जिससे पूरी दूकान प्रभावित है इसका पुरा श्रेय प्रशासन को जाता है प्रशासन को सुचना कुछ दिन पहले से ही देनी चाहिए थी तब मेले का माहौल ठीक रहता।
कार्यक्रम स्थल पर खाली कुर्सी देख कलाकारो में दिखी मायूसी
कलाकारों में उत्तेजना तब होती है जब स्थल पर भीड़ की तादाद असंख्य में होती है भोरमदेव महोत्सव का गर कार्यक्रम स्थल में लगे कुर्सियों को देखा जाए तो वहां प्रशासनिक अधिकारी कर्मचारी व पत्रकारों के कुर्सियों को छोड़ पुरा स्थल खाली था जिसको देख दूर दराज से आए अपनी कला की प्रस्तुति देने वाले कलाकरों में मायूसी देखी गई प्रशासन के इस अचानक फैसले ने वर्षों से होते आ रहें भोरमदेव महोत्सव का पुरा रुप रेखा ही बदल दिया ।
जिला सीईओ संदीप अग्रवाल सहित आला अधिकारी कर्मचारी भूल गए आचार संहिता लागू है अब इसे आचार संहिता का उल्लंघन कहे या मनोरंजन ।
वीडियो में आप देख सकते हैं कि बीते 6 अप्रेल को आयोजित महोत्सव में जिला पंचायत सीईओ संदीप अग्रवाल सहित जिले के तमाम आधिकारी कर्मचारी उपस्थित थे जहां मंच से आचार संहिता का खुला उल्लंघन किया जा रहा था कलाकार के द्वारा खुल कर मिमिक्री कर नेताओ की तारीफे की जारी थी सामने बैठे प्रतिष्ठित अधिकारी जिला पंचायत सीईओ संदीप अग्रवाल खूब मजे ले रहे थे इसे आचार संहिता का उल्लंघन कहे या मनोरंजन।
कार्यक्रम स्थल में चलित सुलभ शौचालय की व्यवस्था ही नहीं
शासन से महोत्सव के लिए लाखो रूपए प्राप्त होता है जिससे सुविधाओं में कोई भी अचूक न हो लापरवाह अधिकारी कर्मचारी को सौंपा गया जिम्मा जिनकी लापरवाही ऐसी की कार्यक्रम स्थल में आम नागरिक के साथ साथ अधिकारी कर्मचारी व पत्रकार से लेकर कलाकार भी मौजूद रहे जिनके लिए कार्यक्रम स्थल में चलित सुलभ शौचालय का व्यवस्था नहीं किया गया इसे जिम्मा पाने वाले आधिकारी कर्मचारियों की घोर लापरवाही कहा जा सकता है प्रशासन को व्यवस्था पर ध्यान देने की आवश्यकता है।