कबीरधाम! आप कभी न कभी जंगल के रास्तों से गुजरे ही होंगे रास्ते में वन विभाग के द्वारा जगह जगह सूचना पटल लगाया गया होता है जिसमें वन्य जीवों के सुरक्षा के लिए तरह तरह के बनाए हुए नियमों का उल्लेख होता है ऐसा सिर्फ सूचना पटल में होता है गर धरातल को देखे तो वन्य प्राणी संकट में है जिससे सम्बंधित विभाग को कोई फर्क नहीं पड़ता। लापरवाह नगर पंचायत बोड़ला वन विभाग के सुस्तीकरण का फ़ायदा उठा कर बोड़ला से चिप्फी नेशनल हाईवे मार्ग से लगे जंगलो को कचरा संग्रहण बना लिए हैं शहर का पुरा कचरा जंगलों में खपाया जा रहा है ।
एक तरफ तो नगर में स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है और आम लोगों को सफाई रखने की नसीहत दी जा रही है वहीं अस्पताल और नगर का कचरा शहर से लगे बोड़ला से चिल्फी रोड के जंगल में डाला जा रहा है। शहर से बमुश्किल डेढ़ किलो मीटर की दूरी पर वन विभाग जांच नाका के आगे और नेशनल हाईवे से लगे जंगलो में जहरीले कूड़े का ढेर लगा हुआ है। जंगल में इस कूड़े का क्या असर होता होगा इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है लेकिन इसके बाद भी नगर के सबसे समझदार तबके के लोग यह हरकत करने में कतई संकोच नहीं कर रहे हैं। जंगल में कई जगह लगे कूड़े के ढेर को देखकर सहज ही समझा जा सकता है कि इसके पीछे का सारा खेल क्या है। दरअसल नगर पंचायत बोडला में कूड़ा उन्मूलन की कोई व्यवस्था नहीं है जिसका परिणाम है कि कूड़ा इस तरह फेंका जा रहा है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि गंदगी के कारण जंगल के पर्यावरण का क्या हाल हो रहा होगा। अस्पताल के जहरीले कूड़े के कारण उस स्थान पर वृक्ष भी प्रभावित हो सकते हैं जहां कूड़ा डाला गया है । कचरे में भला जानवरों को खाने के लिए क्या मिल सकता है, लेकिन वे इस बात को नहीं जानते और अपने जीवन को संकट में डालते रहते हैं। नगर के कचरे में मुंह मारने से बंदरों की जान जा सकती है लेकिन इसकी चिंता अगर किसी को होती तो शायद ही कचरा यहां फेंका जाता। बंदरों के अलावा मवेशी भी यहां घूमते रहते हैं जिनका जीवन भी इस कचरे के कारण संकट में पड़ सकता है।
ऐसा नहीं है कि इसकी खबर सम्बंधित अधिकारी को न हो फिर भी ठोस कदम क्यों नहीं उठाते यह एक प्रश्न वाचक चिन्ह की तरह है वन विभाग को इस दिशा में ध्यान देना चाहिए और जंगल के अंदर गंदगी फेंकने वाले विभागों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।