कबीरधाम । वनों को संजोने के लिए शासन प्रशासन द्वारा लगातार प्रतिवर्ष करोड़ो रूपये का वृक्षारोपण कराया जाता है। मगर उन्ही के अधिनस्त कर्मचारी शासन की योजनाओं पर पानी फेरने में तुले हुए है। हम बात कर रहे है कबीरधाम जिले के वनमंडल के अंतर्गत आने वाली वन परिक्षेत्र पंडरिया पूर्व व पश्चिम क्षेत्रान्तर्गत कोडवगोड़ान,देवसरा, रोख़्मी दादर,तेलियापानी लेदरा एवं सहसपुर लोहारा क्षेत्रान्तर्गत तेलिटोला , जुनवानी,नवागांव,इत्यादि क्षेत्रों में भारी संख्या में ऊंट,भेड़ व कुत्ते की झुंड देखने को मिल जाएंगे ।
अन्य जंगली जानवरों का झुंड जंगल को छोड़ मैदानी क्षेत्र में क्यों रुख कर रहे है।
बतादे की इन दिनों हाथियों की उत्पाद की सूचना लगातार सामने आ रही है जिससे ग्रामीण के लोगो में दहशत का माहौल बना हुवा है मगर क्या कारण है की हाँथी व अन्य जंगली जानवर जंगल छोड़ कर मैदानी क्षेत्र में पहोचकर उत्पाद मचा रहे हैं। तो वही दूसरी ओर गुजरात, राजिस्थान से आये चरवाहे अपने ऊंट,भेड़ व कुत्ते के साथ बेख़ौफ़ जंगलो में डेरा जमाकर हरयाली सफा चट करने में लगे हुए है जिसके चलते जंगलो से जानवर बाहर निकलकर उत्पाद मचा रहे ।
जंहा से भेड़ बकरी गुजरे वहां से हरियाली हो जाती है गायब।
स्थानीय ग्रामीणों ने कहा की जंगलों में करीब कई सालों से राजस्थान, गुजरात की चरवाहे के साथ भेड़-बकरी यहां अपना डेरा जमाये हुए ये बरसात व ठंड के समय मे जंगलो में तो वहीं गर्मी में पानी के दिक्कत होने कारण मैदानी इलाकों में पहुंच जाते हैं। मगर वही जिन स्थानों पर भेड़, बकरी मलमूत्र निकालते हैं वहां कई सालों तक वह जगह बंजर हो जाती है साथ ही भेड़ बकरी गुजरते है वहां से हरियाली चट कर जाते है।
वनों की सुरक्षा के लिए अधिकारियों की सक्रियता नही दे रही है दिखाई।
वन परिक्षेत्र में अगर ऊंट में भेड़ वालों पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया तो आने वाले कुछ वर्षों में वन और वनस्पतियां नष्ट हो जाएगी। जंगल क्षेत्रों में वन विभाग के रेंजर और बिटगार्ड रहते है लेकिन अंचल के लोगों को कभी भी इन अधिकारियों की सक्रियता जंगलों की सुरक्षा के लिए दिखाई नहीं देती। इसी का फायदा उठाते हुए चरवाहों ने जंगलों में अपना डेरा जमाना प्रारंभ कर दिया है। वनांचलवासी जब इसका विरोध करते हैं तो उनके द्वारा भी धौंस जमाते हुए विवाद करने पर उतारू हो जाते हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि कहीं ना कहीं वन विभाग के कर्मियों का इन्हें संरक्षण प्राप्त है। इसके कारण बेखौफ होकर जंगलों में घुसकर पेड़ पौधों को चारागाह बनाकर नष्ट कर रहे हैं।
पत्रकारो का फोन उठाना मुनासिब नही समझते वन मण्डलाधिकारी चूड़ामणि सिंह
वो चाहे क्यों न अवैध कटाई का मामला हो या अवैध अतिक्रमण का हो या मामला गुजराती भेंड़ वालो का हो मामले की जानकारी लेने के लिए गर साहब को फोन लगाओ तो साहब पत्रकारों का फोन उठाना मुनासिब ही नही समझते इससे संदेह उत्पन्न होता है कि कंही न कंही गुजराती भेंड़ वालो को माननीय मण्डलाधिकारी जी का संरक्षण प्राप्त है।