कबीरधाम! धर्म नगरी के नाम से प्रसिद्ध कवर्धा को आज अधर्मी लोगों का नज़र सा लग गया है। जो नगर धार्मिक सभ्यताओं के लिए चर्चित हुवा करता था आज स्थिती कुछ इस तरह बन गया है की जगह जगह चर्चा अब नशे में बर्बाद लोगो की हो रही है।
दरअसल हम बात कर जिला आबकारी विभाग कबीरधाम का वैसे तो आबकारी विभाग का मुख्य कार्य होता है अवैध शराब पर रोक लगाने और कार्यवाही करने का मगर अपनी ऊपरी कमाई के लिए विभाग ही अवैध तरीके से शराब की बिक्री कराता है और कार्यवाही के नाम पर सिर्फ खाना पूर्ति करता है एवम कच्ची शराब पकड़कर खुद की पीठ थपथपाता है ।
विभाग द्वारा संचालित नगर में बिलासपुर रोड व लोहारा बाईपास स्थित सरकारी दुकानों में सेल्समैन के द्वारा शराब कोचियों को खुदरा मूल्य से अधिक 10 रुपए लेकर थोक के थोक में शराब बेची जाती है ।जबकि नियम के तहत एक व्यक्ति को 8क्वार्टर शराब से ज्यादा नही देना है मगर शराब दुकान में अधिक बिक्री के लिए शराब कोचियों को पेटी पेटी शराब बेची जाती है जो गांव में जाकर अवैध शराब बेचते है ।
जिले में हर दूसरे गांव में अवैध शराब की शिकायत
वैसे तो जिले में शराब दुकानो का अंबार है मगर हर दूसरे गांव में अवैध शराब की शिकायत आम बात है और ये अवैध शराब 99 प्रतिशत शासकीय शराब दुकान से लिया हुआ शराब ही होता है । जबकि 01 प्रतिशत कच्ची और बाहर का शराब है जो गांव में बिकता है । जो गांव शराब बेचने वाले कोचिया होते है उनका भी कहना है की वे लोग दुकान दार को अधिक पैसा देता है तब उन्हे शराब मिलती है तो वे भी मजबूर है अधिक कीमत पर शराब बेचने के लिए ।
25प्रतिशत पैसा दुकान के कर्मचारी को बाटा जाता है और 75प्रतिशत ले जाते अधिकारी
वही शराब दुकानों में शराब बेचने वाले कर्मचारियों ने नाम नही छापने के शर्त पर बताया की वे लोग मजबूर है अधिक रेट पर शराब बेचने को क्योंकि अधिकारी ही ओवर रेट पर शराब बिकवाता है और अतरिक्त कमाई का 25प्रतिशत पैसा दुकान के कर्मचारी को बाटा जाता है और 75प्रतिशत अधिकारी ले जाते है । अगर अधिकारियो की बात नही माने तो नौकरी से निकालने या फिर दूकान से हटाने की धमकी दी जाती है जिसके कारण मजबूरी में वे लोग ये काम करते है ।
पत्रकारों का फोन भी उठाना मुनासिब नहीं समझती जिला आबकारी अधिकारी आशा सिंह व उनके सहपाठी गण
मामले की जानकारी लेने जिले के पत्रकारों द्वारा जब जिला आबकारी अधिकारी आशा सिंह को फ़ोन किया जाता है तो वो पत्रकारों का फोन उठाना मुनासिब नहीं समझती न ही उनके कर्मचारीगण इससे साफ जाहिर होता है कि उच्च अधिकारियों के सांठगाठ होने के कारण ही सेल्समैन बेधड़क होकर अधिक दामों में शराब बेच रहे हैं।