एक कहावत तो सुनी ही होगी जो घर का नही हुवा वो दूसरे का क्या होगा ये कहावत ठीक बैठता है विधानसभा क्रमांक 71 पंडरिया विधायक भावना बोहरा के ऊपर ये शब्द हमारे नही ये शब्द है पंडरिया विधायक के गृह ग्राम में निवासरत किसानो का |
कबीरधाम | दरअसल मामला है विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 71 पंडरिया का जहाँ विधायक भावना बोहरा के गृहग्राम में निवासरत किसानो का यह आरोप है की पंडरिया विधायक के वीआईपी कल्चजर मेंटेन होने के कारण पंडरिया विधानसभा के किसान, मजदूर, गरीबों को अपने समस्या को लेकर महोदया से मुलाक़ात करना दुर्लभ सा हो गया है |पंडरिया विधायक भावना बोहरा के गृहग्राम में स्थापित सोसायटी मे किसानो के लिए खाद्य बीज उपलब्ध नहीं है ,साथ ही किसानो को केसीसी का राशि भी प्राप्त नही हो रहा है , गर महोदया के गृह ग्राम का हाल यह है तो सोंचो विधानसभा क्षेत्र में आने वाले उन तमाम ग्रामीणों में निवासरत किसानो का क्या हाल होगा इसका अंदाजा बखूबी से लागाया जा सकता है ,पंडरिया विधायक भावना बोहरा जब अपने गृह ग्राम में निवासरत किसानों के लिए खाद्य बीज उपलब्ध नहीं करा पा रही है तो सोचो पूरा विधानसभा क्षेत्र में आने वाले ग्रामीण किसानो की समस्याओं को क्या दूर कर पाएंगी जोकि एक प्रश्नवाचक चिन्ह की तरह है जो पूर्ण रूप से दुर्भाग्य जनक है |
भावना ही सेवा है
भावना ही सेवा है यह शब्द आप अक्सर ही सुने होंगे ग्रामीणों का कहना है की इसका प्रचार प्रसार सिर्फ पैसों के दम पर किया जा रहा है, लेकिन आम जनता का काम जमीन स्तर पर होते नहीं दिख रहा है, वही क्षेत्रवासियों में कहासुनी हो रही है की बाहरी व्यक्ति को विधायक चुनने से यही सबसे बड़े परेशानी होता है की पंडरिया विधानसभा के आम जनता, गरीब, किसान, मजदूर को अपने विधायक से समस्या को लेकर के मुलाकात करना भी मुश्किल हो गया है, विधायक जिला मे तो रहती ही नहीं है और विधायक महोदया
के वीआईपी कल्चर होने के कारण आम जनता को पता ही नहीं चलता की विधायक जी कहा है समस्या को लेकर मुलाकात करना है तो सबसे पहले एप्रोच वाले व्यक्ति को ढूंढना पड़ता हैं उसके बाद विधायक रायपुर में है कि दिल्ली में है कि राजस्थान मे है पता करते करते जनता थक जाते है लेकिन विधायक से मुलाक़ात ही नही हो पाती पंडरिया विधानसभा के आम जनता को छोटे छोटे काम के लिए दर दर भटकना पड़ रहा है विधायक के पी ए को फोन लगाते है तो फोन उठता मुनासिब नहीं समझते मुश्किल से कही फोन उठा लिए तो मैडम जी से पूछ के बताता हु बोलते है और कोई जवाब आता ही नहीं है विधायक जी के कार्यालय मे जाओ तो बोलते है आवेदन दे देदो मैडम जी को भेज दूंगा बोल देते है,लेकिन न तो काम होता है न संतोष जनक जवाब मिलता है। विधायक मिडिया को मेंटेन करके मिडिया मे छाये रहते है जिसको जो चिल्लाना है चिल्लाते रहे कोई फर्क नहीं पड़ता भावना ही सेवा है एक जुमला बन गया है जिसका खमियाजा पंडरिया विधानसभा के जनता को भुगतना पड़ रहा |