कबीरधाम!पुलिस और सटोरियों में चल रहा है तू-डाल-डाल, मैं पात-पात पुलिस की कार्यवाही में दखलन्दाजी कर रहे छुटभैया नेता ।


कबीरधाम
!पुलिस प्रशासन की लगातार कार्रवाई के बावजूद भी सट्टा रुकने का नाम नहीं ले रहा है। वजह सिर्फ छुटभैये नेताओं की दखलंदाजी है। पुलिस कार्रवाई करना चाहती है लेकिन छुटभैये नेता उनके किये धरे पर सटोरियों को छुड़ाकर पानी फेर रहे हैं। एक थाने के स्टाफ ने बताया कि सटोरियों पर पुलिस कार्रवाई तो कर रही है, लेकिन नेतागिरी के आगे पुलिस बेबस और लाचार है।

शहर में बढ़ रहे अपराध पर अंकुश लगाने की पुलिस प्रशासन की लाख कोशिशों के बाद भी सट्टा-जुआ, अवैध नशीली दवाओं का कारोबार रुकने का नाम नहीं ले रहा है। शहर में पुलिस को गुंडे-बदमाशों के साथ सटोरियों और जुआरियों का फड़ लगाने वालों के साथ इन्हें संरक्षण देने वाले छुटभैया नेताओं से रोज जूझना पड़ता है। सट्टा-जुआ और नशे के कारोबारियों पर हाथ डालते ही राजनीतिक दबाव बनना शुरू हो जाता है। पुलिस अपराध नियंत्रण करने के लिए तरह-तरह के प्रयोग करने के साथ जागरूकता अभियान भी चला कर देख चुकी है। लेकिन अवैध कारोबार की चुनौती कम नहीं हो रही। अवैध कारोबार में राजनीतिक संरक्षण ही पुलिस के काम में सबसे बड़ा बाधक है।

शहर का नामी सटोरिया जो भोजली तालाब स्थित पान ठेलों , व गायत्री मन्दिर चौक के सामने नगर पालिका कॉम्प्लेक्स के इर्द गिर्द अपना सट्टा कारोबार फैलाए हुए है।

शहर खुलेआम सट्टा और जुआ का खेल चल रहा है। शाम होते ही सट्टा लगना शुरू हो जाता है और देर रात तक चलता है। शहर का नामी सटोरिया जो भोजली तालाब स्थित पान ठेलों , व गायत्री मन्दिर चौक के सामने नगर पालिका कॉम्प्लेक्स के इर्द गिर्द अपना सट्टा कारोबार फैलाए हुए है। मुख्य सटोरिया शहर में नहीं होते बाहर से ही अपने गुर्गो के माध्यम से वे सट्टे का संचालन करवाते हैं। उसके गुर्गे शहर में उसकी कुर्सी के आड़ में कारोबार को अंजाम देते हैं। पुलिस की कार्रवाई होती है तब मुख्य सरगना तो नहीं परन्तु छोटे-छोटे गुर्गे दबोच लिए जाते हैं और मामूली धारा लगने के कारण आसानी से छूट भी जाते है और फिर उसी काम में लग जाते हैं।


सटोरियो के पकड़े जाने के बाद तुरंत ही छुड़वाने पहोच जाते हैं शहर के छुटभैया नेता ।

सट्टा और जुए के अड्डेबाज सत्ता से जुड़े नेताओं के साथ मिलकर झक सफेद खादी के कुर्ता पायजामा पहनकर पुलिस को जेब में रखने का दम भर रहे है। इन्ही नेताओं की इच्छा शक्ति के आगे पुलिस प्रशासन और सरकार में बैठे नुमाइंदे नतमस्तक हैं । देखना यह है कि आखिर पुलिस प्रशासन कब तक छुटभैया नेताओं का दबाव झेलते रहेगी। कभी न कभी तो पुलिस का स्वाभिमान जागेगी ही ? जिले में काले कारोबार का जाल पूरी तरह बिछ चुका है, सट्टा-जुआ, नशीली दवाई का कारोबार अबाध गति से फल-फूल रहा है। शहर की पुलिस किसी भी स्तर में अपने कानूनी अधिकार के अंतर्गत कार्य नहीं कर पा रही है, किसी भी प्रकार की कार्रवाई करने पर पुलिस के ऊपर छुटभैय्या नेताओं के द्वारा भारी दबाव डाला जाता है, जिससे पुलिस अब कानून व्यवस्था के अलावा किसी और पक्ष की ओर ज्यादा ध्यान नहीं देती है। लोगों के शिकायत पर पुलिस द्वारा सट्टा और जुआ के संबंधित ठिकानों में दबिश देकर गिरफ्तारी की कार्रवाई की जाती है, लेकिन 2 दिन के बाद सब सामान्य उसी तरीके से चलने लगता है। पकड़े गए सटोरियों पर मामूली धारा लगती है जिससे वे आसानी से छूट जाते हैं या फिर छुटभैये नेताओं द्वारा थाने स्तर से सटोरियों को छुड़ा कर ले जाते है इसलिए कि वे उन्ही के आदमी होते हैं। जिले व शहर  में सट्टा और जुआ तीव्र गति के साथ ग्रामीण युवा पीढ़ी को भी मजबूती के साथ जकड़ लिया है। इस कारोबार की असल जड़ छुटभैय्या नेता है जो अपने राजनीतिक हित को साधने के लिए रातोरात करोड़पति बनने की लालच के चलते शहर को सट्टे और जुए और नशे के कारोबार में युवाओं को धकेल दिया है। पूरे शहर में हर गली मोहल्ले में अड्डो का संचालन या संरक्षण किसी ना किसी राजनीतिक पार्टी के छुटभैया नेता के अधीन संचालित हो रहा है।

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