प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिनका सपना है कि हर गरीब का स्वयं का आशियाना हो जिस सपने को शिक्षा के देवता कहे जाने वाले शिक्षक के द्वारा चकना चूर किया जा रहा है।
कबीरधाम ! बता दें कि जिले के विकासखंड बोड़ला क्षेत्रांतरगर्त आने वाली घोर वनांचल क्षेत्र दलदली के समीप स्थित ग्राम पंचायत चेंद्रादादार के आश्रित ग्राम कोयलारी में निवासरत राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले बैगा जनजाति के लोगो के आवास का सपना साकार होने से रहा ,सत्र 2018- 19 की आवास सूची में शामिल सुंदर बैगा पिता अघन बैगा, जेवन सिंह बैगा पिता अघन सिंह चैन सिंह पिता अघन का आवास कांगजो में पूर्ण होना दिख रहा है ।
गर धरातल स्थिति को देखा जाए तो न ही हितग्राहियों के हाथ आवास लगा और न ही आवास के लिए प्राप्त हुवे राशि,भोलेभाले बैगा समुदाय के लोगो का कहना है कि आवास की पहली किस्त जैसे ही खाते में आया फिर शिक्षक जेहर सिंह अपनी शिक्षित होने का फायदा उठाते हुवे हितग्राहियों को गाड़ी में बैठाकर राशि आहरण के लिए बैंक ले जाकर राशि निकलवाकर स्वयं रख लिया और आवास बनाने का झूठा वादा कर पूरा पैसा डकार गया हितग्राही जब शिक्षक जेहर से शिकायत दर्ज कराने की बात किए तो शिक्षक अभद्र व्यवहार कर हर बार भगा दिया अंततः हितग्राहियों को अपने आवास से हाथ धोना पड़ा,प्रधानमंत्री आवास योजना से लाभान्वित होने के बावजूद आज भी राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र झोपड़ी में रहने को मजबूर है ।
बुद्धजीवी शिक्षक होने के बावजूद राष्ट्रपति के दत्तक पुत्रों के आवास राशि में डाला डांका ।
शिक्षक जिन्हे शिक्षा का देवता माना जाता है, जीने का असली तरीका हमें शिक्षक ही सिखाते हैं। सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं तथा हमारे जीवन को ऊंचाइयों पर ले जाने का श्रेय भी शिक्षकों को ही जाता हैं लेकिन वही शिक्षक गर दुराचार्य बन जाए तो बता दें कि जेहर सिंह पेशे से एक सरकारी शिक्षक है जो वर्तमान में शासकीय प्राथमिक शाला कौहापनी में पदस्थ है, ये वही बुद्धजीवी शिक्षक है जिसने भोले भाले बैगा आदिवासियों के आवास राशि को डकार उन्हें झोपड़ी में रहने के लिए मजबूर किए है, एक शिक्षक के द्वारा ऐसा कृत्य अशोभनीय है ऐसे शिक्षक के ऊपर प्रशासन को जल्द ही कार्यवाही करनी चाहिए।
राशि डकारने में विभागीय अधिकारी कर्मचारियों का सांठगांठ ।
अब सोचनीय विषय यह है कि मोदी के डिजिटल इंडिया में बन रहे आवास जिसका किस्त डालने से पहले विभागीय अधिकारियों के द्वारा बन रहे आवास स्थान में पहुंच पूर्ण रूप से निरीक्षण किया जाता तब जाके पहला किस्त हितग्राहियों के खाते में पहुंचता है ,अब सवाल यह उठता है कि आवास निरीक्षण अधिकारी के द्वारा किस प्रकार का निरीक्षण किया गया था की अधूरे आवास का पूरा पैसा आहरण कर डकार लिया गया इससे साफ जाहिर होता है कि विभागीय अधिकारियों के संरक्षण के चलते ही पैसा आहरण किया गया है।
अब देखना यह होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपनो को नज़र लगाने वाले शिक्षक जेहर सिंह व इनके साथ देने वाले विभागीय अधिकारी कर्मचारियों के ऊपर प्रशासन के द्वारा क्या कार्यवाही किया जाता है ।